Wednesday 4 January 2017

बाबासाहेब अंबेडकर

                                                            युवा डॉ॰ बाबासाहेब अंबेडकर
जन्म14 अप्रैल 1891
महूइंदौर जिलामध्य प्रदेशभारत
मृत्यु6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65)
दिल्लीभारत
राष्ट्रीयताभारतीय
अन्य नाममहान बोधिसत्व, बाबासाहेब, युगपुरूष, आधुनिक बुद्ध
शिक्षाबीए., एमए., पीएच.डी., एम.एससी., डी. एससी., एलएल.डी., डी.लिट., बार-एट-लॉ (कुल ३२ डिग्रियाँ अर्जीत)
विद्यालयमुंबई विश्वविद्यालय
कोलंबिया विश्वविद्यालय
लंदन विश्वविद्यालय
लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स
बर्लिन विश्वविद्यालयजर्मनी
संस्थाबहिष्कृत हितकारणी सभा
समता सैनिक दल
डिप्रेस क्लास एज्युकेशन सोसायटी
पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी
स्वतंत्र लेबर पार्टी
अनुसूचित जाति फेडरेशन]]
भारतीय बौद्ध महासभा
उपाधिआधुनिक भारत के निर्माता
भारत के प्रथम कानून मंत्री]]
भारतीय संविधान के निर्माता
शोषितों, मजदूरों और महिलाओं के मसिहा
महान मानवाधिकारी क्रांतिकारी नेता
सबसे प्रतिभाशाली मनुष्य
समता पुरूष
भारत सशक्तीकरण के प्रतिक
राजनीतिक पार्टीभारतीय रिपब्लिकन पार्टी
राजनीतिक आंदोलनभारत के सामाजिक आन्दोलन
दलित बौद्ध आंदोलन
धर्मबौद्ध धर्म (मानवता)
जीवनसाथीरमाबाई आंबेडकर (विवाह १९०६)
डॉ॰ सविता आंबेडकर (विवाह १९४८)
पुरस्कारभारत रत्‍न (१९९०)
बोधिसत्व
डॉ॰ भीमराव रामजी अंबेडकर ( 14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956 ) विश्व स्तर के 


  • भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाज शास्त्री, मानवविज्ञानी, संविधानविद्, लेखक, दार्शनिक, इतिहासकार, धर्मशास्त्री, वकील, विचारक, शिक्षाविद, प्रोफ़ेसर, पत्रकार, बोधिसत्व, संपादक, क्रांतिकारी, समाज सुधारक, भाषाविद, जलशास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक, सत्याग्रही, दलित-शोषित नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे और वे भारतीय संविधान के शिल्पकार भी है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर भारत के सामाजिक आन्दोलन के सबसे बड़े नेता थे। 
  • डॉ॰ भीमराव आंबेडकर बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय हैं, जिसका मराठी भाषा में अर्थ 'पिता' होता है। उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, प्रचंड बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, साहस, नियमितता, दृढता, दूरदृष्टि, प्रचंड संग्रामी स्वभाव का मेल था। भारत को मजबूत लोकतंत्र प्रदान करने वाले बाबासाहेब अनन्य कोटी के नेता थे, जिन्होंने अपना समस्त जीवन समग्र भारत के कल्याण के लिए लगाया। 
  • भारत के शोषित, पिडीत, दलित एवं पिछडे सामाजिक व आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जी के जीवन का प्रमुख संकल्प था। इनके उत्थान के संघर्ष में वे हमेशा व्यस्त रहे और साथ ही भारतीय स्वतंत्र्यता, आधुनिक भारत के निर्माण में अनमोल योगदान एवं कार्य करते रहे। भारत देश के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शिक्षा, कानून, बिजली आदी क्षेत्रों में उनके अतुलनीय योगदान रहे है इसलिए डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को आधुनिक भारत के निर्माता भी कहां जाता है। 
  • प्रकांड विद्वान एवं बहुश्रुत डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर की 64 विषयों पर मास्टरी थी, जो कि केंब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड के 2011 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा है।इसलिए इस विश्वविद्यालय ने बाबासाहेब को विश्व के सबसे प्रतिभाशाली इंसान घोषित किया है। अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध कोलंबिया विश्वविद्यालय ने बाबासाहेब को विश्व के टॉप 100 महान विद्वानों की सूचीं में शीर्ष पर स्थान दिया है। विश्वविद्यालय इन 100 विद्वानों की सूची में बाबासाहेब ही एकमात्र भारतीय थे। 
  • भारत में हुए दि ग्रेटेस्ट इंडियन नामक विश्वस्तर के भारतीय सर्वेक्षण में भी बाबासाहेब टॉप 100 भारतीयों में पहले सबसे महानतम भारतीय (The Greatest Indian) ते रूप में घोषित हूए है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ही भारत के अब तक के पहले सबसे महान अर्थशास्त्री है। विश्व एवं भारत के सबसे बुद्धिमान विद्वांनो में बाबासाहेब का नाम सबसे पहले लिया जाता है। भारत के सबसे महान समाज सुधारक, सबसे महान विधिवेत्ता के तौर पर भी बाबासाहेब ही नाम सबसे आगे है। बाबासाहेब की जन्मतिथी आंबेडकर जयंती भी पूरे विश्व में मनाई जाती हैं।
  • बाबासाहेब का जन्म एक गरीब परिवार मे हुआ था। एक अछूत परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें सारा जीवन नारकीय कष्टों में बिताना पड़ा। बाबासाहेब आंबेडकर ने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की चतुवर्ण प्रणाली और भारतीय समाज में सर्वव्यापित जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। 
  • हिंदू धर्म में मानव समाज को चार वर्णों में वर्गीकृत किया है। जो इस प्रकार है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। बाबासाहेब ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए सारा जीवन कठीण संघर्ष किया है। इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्म को ग्रहण करके इसके समतावादी विचारों से समाज में समानता स्थापित कराई। हालांकी वे बचपन से बुद्ध के अनुयायी थे। उन्हें दलित बौद्ध आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय भी जाता है। डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर को महापरिनिर्वाण के ३४ वर्ष बाद सन 1990 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
  • कई सामाजिक और वित्तीय बाधाएं पार कर, डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर उन कुछ पहले अछूतों मे से एक बन गये जिन्होने भारत में कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ने कानून की उपाधि प्राप्त करने के साथ ही विधि, अर्थशास्त्र व राजनीति विज्ञान में अपने अध्ययन और अनुसंधान के कारण कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कई डॉक्टरेट डिग्रियां भी अर्जित कीं। 
  • डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर वापस अपने देश एक प्रसिद्ध विद्वान के रूप में लौट आए और इसके बाद कुछ साल तक उन्होंने वकालत का अभ्यास किया। इसके बाद उन्होंने कुछ पत्रिकाओं का प्रकाशन किया, जिनके द्वारा उन्होंने भारतीय अस्पृश्यों के राजनैतिक अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को वैश्विक बौद्ध संमेलन, नेपाल में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बोधिसत्व की उपाधि प्रदान की है, हालांकि उन्होने खुद को कभी भी बोधिसत्व नहीं कहा, यही उनकी बडी महानता है।
  • 'बोधिसत्व' बौद्ध धर्म की सर्वोच्च उपाधी है, खुद पर विजय प्राप्त कर बुद्धत्व के करीब पोहोचने वाले एवं बुद्ध बनने के रास्तें पर चलने वाले महाज्ञानी, महान मानवतावादी एवं सबका कल्याणकारी व्यक्ति 'बोधिसत्व' कहलाता है। बोधिसत्व अवस्था प्राप्त करने के कई अवस्थाओं गुजरना पडता है। बोधिसत्व उपाधी हिंदू या संस्कृत ग्रंथों की महात्मा उपाधी से बहूत व्यापक एवं उच्च दर्जे की है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को धम्म दिक्षा देने वाले महान बौद्ध भिक्षु महास्थवीर चंद्रमनी ने उन्हें को इस युग का भगवान बुद्ध कहाँ है।

अनुक्रम

  

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बाहरी कड़ियाँ

भगवान   बुद्ध   और   उनका   धम्म ,  भाग - १   ( गूगल   पुस्तक ;  लेखक -  भीमराव   अम्बेडकर ) बौद्ध   वचन   तथा   अम्बेडकर   विचार   ( गूग...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: यह भी देखें

यह भी देखें: नवयान   बौद्ध धर्म आंबेडकर जयंती सबसे महानतम भारतीय दीक्षाभूमि, नागपुर आंबेडकरवाद पूना पैक्ट चैत्य भूमि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठव...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: भारत रत्न सम्मानित

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: भारत रत्न सम्मानित: भारत रत्न 1.       सर्वपल्ली   राधाकृष्णन   ( १९५४ ) 2.       चक्रवर्ती   राजगोपालाचारी   ( १९५४ ) 3.       चन्द्रशेखर   वे...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बाबासाहेब के प्रशंसक

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बाबासाहेब के प्रशंसक: "हम डॉ॰ अंबेडकर के जीवन और कार्य से प्रेरणा लेकर अपना संघर्ष भी उन्हीं आधारों पर चलायेंगे जिन आधारों पर डॉ॰ अंबेडकर ने भारत में समाज...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: फिल्म, नाटक

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: फिल्म, नाटक: फिल्मे युगपुरूष डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर १९९३  में आई हुई एक मराठी फिल्म है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जब्बार पटेल  ने सन २००० मे डॉ....

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बाबासाहेब का समग्र साहित्य, लेखन

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बाबासाहेब का समग्र साहित्य, लेखन: डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर बहूत प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। बाबासाहेब को 6 भारतीय और 4 विदेशी ऐसे कुल दस भाषाओं का ज्ञान था,  अंग्रेजी ,  ...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बाबासाहेब के विचार

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बाबासाहेब के विचार: डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के विविध विषयों पर प्रेरणादायी एवं अनमोल विचार डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के विविध विषयों पर प्रेरणादायी एवं अनमोल विचार...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बहुश्रुत आंबेडकर

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बहुश्रुत आंबेडकर: समाज सुधारक आंबेडकर अर्थशास्त्री आंबेडकर समाजशास्त्री आंबेडकर इतिहासकार आंबेडकर विधिवेत्ता आंबेडकर मानव विज्ञानी आंबेडकर सत्याग्रही ...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: दस महान भारतीयों के वोट

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: दस महान भारतीयों के वोट: डॉ॰ भीमराव अंबेडकर  ~ 19,91,735 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम  ~ 13,74,431 वल्लभ भाई पटेल  ~ 25,58,835 अटल बिहारी वाजपेयी  ~ 1,67,378 मदर टेरेस...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: सबसे महानतम भारतीय

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: सबसे महानतम भारतीय: आधुनिक भारत के लिए महत्त्वपुर्ण योगदान और देश इंसानों के जीवन में अद्वितीय बदलाव लाने वाले महान शख्सियत खोजने के लिए भारत में दि ग्रेटेस्ट...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: विश्व के टॉप 100 विद्वानों में शीर्ष पर

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: विश्व के टॉप 100 विद्वानों में शीर्ष पर: कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्युयार्क, अमेरीका ने स्थापना वर्ष 1754, के 250 वर्ष (1754 से 2004) पूरे होने पर वर्ष 2004 में से, ऐसे 100 को कोलं...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: अम्बेडकर के बाद

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: अम्बेडकर के बाद: पिछले वर्षों में लगातार बौद्ध समूहों और रूढ़िवादी हिंदुओं के बीच हिंसक संघर्ष हुये है।  1994 में मुंबई में जब किसी ने अम्बेडकर की प्रतिमा...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: विरासत

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: विरासत: अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधारक की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत मे उनकी सामाजिक और राजनी...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: आधुनिक भारत के निर्माता – डॉ॰ अंबेडकर

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: आधुनिक भारत के निर्माता – डॉ॰ अंबेडकर: बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव अंबेडकर का भारत के विकास में जितना योगदान रहा है, उतना शायद ही किसी और राजनेता का रहा हो। एक अर्थशास्त्री, समाजशास्त्...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: भारतीय जीवन पर आंबेडकर बनाम गांधी

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: भारतीय जीवन पर आंबेडकर बनाम गांधी: डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर, महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्र आलोचक थे।  उनके कई समकालीनों और कुछ आधुनिक विद्वानों ने उनके म...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: आंबेडकर के सिद्धान्त (आंबेडकरवाद)

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: आंबेडकर के सिद्धान्त (आंबेडकरवाद): स्वतंत्र्यता क्रांतिकारी देशभक्त डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को ब्रिटीशों से मुक्त भारत के अलावा देश के ९ करोड़ो (आज ३५ करोड़) शोषित, पिडीत एवं ...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: महापरिनिर्वाण (मृत्यु)

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: महापरिनिर्वाण (मृत्यु): अन्नाल अम्बेडकर मनिमंडपम, चेन्नई 1948 से, अम्बेडकर मधुमेह से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो कमजो...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: 22 प्रतिज्ञाएँँ

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: 22 प्रतिज्ञाएँँ: मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा। मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, ...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बौद्ध धर्म में परिवर्तन

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: बौद्ध धर्म में परिवर्तन: सन् 1950 के दशक में बाबा साहेब अम्बेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध भिक्षुओं व विद्वानों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए श...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: संविधान निर्माण

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: संविधान निर्माण: अपने विवादास्पद विचारों और गांधी व कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद अम्बेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी जिसके क...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: राजनीतिक जीवन

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: राजनीतिक जीवन: 13 अक्टूबर 1935 को, अम्बेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानचार्य नियुक्त किया गया और इस पद पर उन्होने दो वर्ष तक कार्य किया। इसके चलते अंबे...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: पूना संधि

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: पूना संधि: अब तक डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जी आज तक की सबसे बडी़ अछूत राजनीतिक हस्ती बन चुके थे। उन्होंने मुख्यधारा के महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों की जाति ...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष: भारत सरकार अधिनियम १९१९, तैयार कर रही साउथबोरोह समिति के समक्ष, भारत के एक प्रमुख विद्वान के तौर पर अम्बेडकर को गवाही देने के लिये आमंत्रि...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: उच्च शिक्षा

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: उच्च शिक्षा: गायकवाड शासक ने सन १९१३ में संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय मे जाकर अध्ययन के लिये डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर का चयन किया गया...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: प्रारंभिक जीवन

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: प्रारंभिक जीवन: बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव रामजी आंबेडकर जी का जन्म ब्रिटिशों द्वारा केन्द्रीय प्रांत (अब  मध्य प्रदेश   में) में स्थापित नगर व सैन्य छावनी   ...

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर

The Great Baba Saheb Dr. Bhim Rao Ambedkar with their Life: डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर:                                                             युवा डॉ॰ बाबासाहेब अंबेडकर जन्म 14 अप्रैल 1891 महू ,  इंदौर जिला ,  मध्य प...

पूना संधि


  • अब तक डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जी आज तक की सबसे बडी़ अछूत राजनीतिक हस्ती बन चुके थे। उन्होंने मुख्यधारा के महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों की जाति व्यवस्था के उन्मूलन के प्रति उनकी कथित उदासीनता की कटु आलोचना की। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उसके नेता मोहनदास करमचंद गांधी की आलोचना की, उन्होने उन पर अस्पृश्य समुदाय को एक करुणा की वस्तु के रूप मे प्रस्तुत करने का आरोप लगाया। 
  • डॉ॰ आंबेडकर ब्रिटिश शासन की विफलताओं से भी असंतुष्ट थे, उन्होने अस्पृश्य समुदाय के लिये एक ऐसी अलग राजनैतिक पहचान की वकालत की जिसमे कांग्रेस और ब्रिटिश दोनों का ही कोई दखल ना हो। 8 अगस्त, 1930 को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान डॉ॰ आंबेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा, जिसके अनुसार शोषित वर्ग की सुरक्षा उसके सरकार और कांग्रेस दोनों से स्वतंत्र होने में है।

दूसरा गोलमेज सम्मेलन, १९३१


  • हमें अपना रास्ता स्वयँ बनाना होगा और स्वयँ... राजनीतिक शक्ति शोषितो की समस्याओं का निवारण नहीं हो सकती, उनका उद्धार समाज मे उनका उचित स्थान पाने मे निहित है। उनको अपना रहने का बुरा तरीका बदलना होगा.... उनको शिक्षित होना चाहिए... एक बड़ी आवश्यकता उनकी हीनता की भावना को झकझोरने और उनके अंदर उस दैवीय असंतोष की स्थापना करने की है जो सभी उँचाइयों का स्रोत है।
  • इस भाषण में डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जी ने कांग्रेस और मोहनदास गांधी द्वारा चलाये गये नमक सत्याग्रह की शुरूआत की आलोचना की। डॉ॰ आंबेडकर की आलोचनाओं और उनके राजनीतिक काम ने उसको रूढ़िवादी हिंदुओं के साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं मे भी बहुत अलोकप्रिय बना दिया, यह वही नेता थे जो पहले छुआछूत की निंदा करते थे और इसके उन्मूलन के लिये जिन्होने देश भर में काम किया था। इसका मुख्य कारण था कि ये "उदार" राजनेता आमतौर पर अछूतों को पूर्ण समानता देने का मुद्दा पूरी तरह नहीं उठाते थे। 
  • डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर की अस्पृश्य समुदाय मे बढ़ती लोकप्रियता और जन समर्थन के चलते उनको १९३१ मे लंदन में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में, भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। यहाँ उनकी अछूतों को पृथक निर्वाचिका देने के मुद्दे पर तीखी बहस हुई। धर्म और जाति के आधार पर पृथक निर्वाचिका देने के प्रबल विरोधी गांधी ने आशंका जताई, कि अछूतों को दी गयी पृथक निर्वाचिका, हिंदू समाज की भावी पीढी़ को हमेशा के लिये विभाजित कर देगी। 
  • गांधी को लगता था की, सवर्णों को अस्पृश्यता भूलाने के लिए कुछ अवधी दि जानी चाहिए, यह गांधी का तर्क गलत सिद्ध हुआ जब सवर्णों हिंदूओं द्वारा पूना संधी के कई दशकों बाद भी अस्पृश्यता का नियमित पालन होता रहा।
  • १९३२ में जब ब्रिटिशों ने डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर के साथ सहमति व्यक्त करते हुये अछूतों को पृथक निर्वाचिका देने की घोषणा की, तब मोहनदास गांधी ने इसके विरोध मे पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में आमरण अनशन शुरु कर दिया। मोहनदास गांधी ने रूढ़िवादी हिंदू समाज से सामाजिक भेदभाव और अस्पृश्यता को खत्म करने तथा, हिंदुओं की राजनीतिक और सामाजिक एकता की बात की। गांधी के दलिताधिकार विरोधी अनशन को देश भर की जनता से घोर समर्थन मिला और रूढ़िवादी हिंदू नेताओं, कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं जैसे पवलंकर बालू और मदन मोहन मालवीय ने डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर और उनके समर्थकों के साथ यरवदा मे संयुक्त बैठकें कीं। 
  • अनशन के कारण गांधी की मृत्यु होने की स्थिति मे, होने वाले सामाजिक प्रतिशोध के कारण होने वाली अछूतों की हत्याओं के डर से और गाँधी के समर्थकों के भारी दवाब के चलते डॉ॰ बाबासाहेब अंबेडकर जी ने अपनी पृथक निर्वाचिका की माँग वापस ले ली। मोहनदास गांधी ने अपने गलत तर्क एवं गलत मत से संपूर्ण अछूतों के सभी प्रमुख अधिकारों पर पाणी फेर दिया। इसके एवज मे अछूतों को सीटों के आरक्षण, मंदिरों में प्रवेश/पूजा के अधिकार एवं छूआ-छूत ख़तम करने की बात स्वीकार कर ली गयी। गाँधी ने इस उम्मीद पर की बाकि सभी स्वर्ण भी पूना संधि का आदर कर, सभी शर्ते मान लेंगे अपना अनशन समाप्त कर दिया।
  • आरक्षण प्रणाली में पहले दलित अपने लिए संभावित उम्मीदवारों में से चुनाव द्वारा (केवल दलित) चार संभावित उम्मीदवार चुनते। इन चार उम्मीदवारों में से फिर संयुक्त निर्वाचन चुनाव (सभी धर्म \ जाति) द्वारा एक नेता चुना जाता। इस आधार पर सिर्फ एक बार सन १९३७ में चुनाव हुए। डॉ॰ आंबेडकर २०-२५ साल के लिये राजनैतिक आरक्षण चाहते थे लेकिन गाँधी के अड़े रहने के कारण यह आरक्षण मात्र ५ साल के लिए ही लागू हुआ। पूना संधी के बारें गांधीवादी इतिहासकार ‘अहिंसा की विजय’ लिखते हैं, परंतु यहाँ अहिंसा तो डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ने निभाई हैं।
  • पृथक निर्वाचिका में दलित दो वोट देता एक सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को ओर दूसरा दलित (पृथक) उम्मीदवार को। ऐसी स्थिति में दलितों द्वारा चुना गया दलित उम्मीदवार दलितों की समस्या को अच्छी तरह से तो रख सकता था किन्तु गैर उम्मीदवार के लिए यह जरूरी नहीं था कि उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास भी करता। बाद मे अम्बेडकर ने गाँधी जी की आलोचना करते हुये उनके इस अनशन को अछूतों को उनके राजनीतिक अधिकारों से वंचित करने और उन्हें उनकी माँग से पीछे हटने के लिये दवाब डालने के लिये गांधी द्वारा खेला गया एक नाटक करार दिया। उनके अनुसार असली महात्मा तो ज्योतीराव फुले थे।
  • आचार्य रजनीश (ओशो) इस पूना संधी के बारे कहते है की, "….डॉ॰ आंबेडकर चाहते थे कि शूद्रों को, हरिजनों (दलितों) को अलग मताधिकार प्राप्त हो जाए। काश डॉ॰ आंबेडकर जीत गए होते तो जो बदतमीज़ी सारे देश में हो रही है वह नहीं होती…. लेकिन महात्मा गांधी ने उपवास कर दिया…. उन्होंने उपवास कर दिया कि मैं मर जाऊँगा, अनशन कर दूँगा…. उनका लंबा उपवास, उनका गिरता स्वास्थ्य, डॉ॰ आंबेडकर को आखिर झुक जाना पड़ा…. मत दे अलग मताधिकार। और इसको गाँधीवादी इतिहासकार लिखते हैं- अहिंसा की विजय…. अब यह हैरानी की बात है इसमें अहिंसक कौन है? डॉ॰ आंबेडकर अहिंसक है….. इसमें गाँधी हिंसक है। उन्होंने डॉ॰ आंबेडकर को मजबूर किया हिंसा की धमकी देकर कि मैं मर जाऊँगा…. एक आदमी तुम्हारी छाती पर छुरा रख देता है और कहता है जेब में जो कुछ हो- यह हिंसा। और एक आदमी अपनी छाती पर छुरा रख लेता है वह कहता है निकालो जो कुछ जेब में हो अन्यथा मैं मार लूँगा छुरा। तुम सोचने लगते हो कि दो रुपल्ली जेब में है, इसके पीछे इस आदमी का मरना। भला चंगा आदमी है, एक जीवन का खो जाना. तुमने दो रुपए निकाल कर दे दिए कि भइया, तू ले ले और जा…. इसमें कौन अहिंसक है? मैं कहता हूँ डॉ॰ आंबेडकर अहिंसक है, गांधी नहीं…..।"

छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष



  • भारत सरकार अधिनियम १९१९, तैयार कर रही साउथबोरोह समिति के समक्ष, भारत के एक प्रमुख विद्वान के तौर पर अम्बेडकर को गवाही देने के लिये आमंत्रित किया गया। इस सुनवाई के दौरान, अम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिये पृथक निर्वाचिका (separate electorates) और आरक्षण देने की वकालत की। 
  • १९२० में, बंबई में, उन्होंने साप्ताहिक मूकनायक के प्रकाशन की शुरूआत की। यह प्रकाशन जल्द ही पाठकों मे लोकप्रिय हो गया, तब्, अम्बेडकर ने इसका इस्तेमाल रूढ़िवादी हिंदू राजनेताओं व जातीय भेदभाव से लड़ने के प्रति भारतीय राजनैतिक समुदाय की अनिच्छा की आलोचना करने के लिये किया। 
  • उनके दलित वर्ग के एक सम्मेलन के दौरान दिये गये भाषण ने कोल्हापुर राज्य के स्थानीय शासक शाहू चतुर्थ को बहुत प्रभावित किया, जिनका अम्बेडकर के साथ भोजन करना रूढ़िवादी समाज मे हलचल मचा गया। अम्बेडकर ने अपनी वकालत अच्छी तरह जमा ली और बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना भी की जिसका उद्देश्य दलित वर्गों में शिक्षा का प्रसार और उनके सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिये काम करना था। 
  • सन् १९२६ में, वो बंबई विधान परिषद के एक मनोनीत सदस्य बन गये। सन १९२७ में डॉ॰ अम्बेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने सार्वजनिक आंदोलनों और जुलूसों के द्वारा, पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी लोगों के लिये खुलवाने के साथ ही उन्होनें अछूतों को भी हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिये भी संघर्ष किया। उन्होंने महड में अस्पृश्य समुदाय को भी शहर की पानी की मुख्य टंकी से पानी लेने का अधिकार दिलाने कि लिये सत्याग्रह चलाया।
  • १ जनवरी १९२७ को डॉ अम्बेडकर ने द्वितीय आंग्ल - मराठा युद्ध, की कोरेगाँव की लडा़ई के दौरान मारे गये भारतीय सैनिकों के सम्मान में कोरेगाँव विजय स्मारक मे एक समारोह आयोजित किया। यहाँ महार समुदाय से संबंधित सैनिकों के नाम संगमरमर के एक शिलालेख पर खुदवाये। १९२७ में, उन्होंने अपना दूसरी पत्रिका बहिष्कृत भारत शुरू की और उसके बाद रीक्रिश्टेन्ड जनता की। 
  • उन्हें बाँबे प्रेसीडेंसी समिति मे सभी यूरोपीय सदस्यों वाले साइमन कमीशन १९२८ में काम करने के लिए नियुक्त किया गया। इस आयोग के विरोध मे भारत भर में विरोध प्रदर्शन हुये और जबकि इसकी रिपोर्ट को ज्यादातर भारतीयों द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया, डॉ अम्बेडकर ने अलग से भविष्य के संवैधानिक सुधारों के लिये सिफारिशों लिखीं।
  • उच्च शिक्षा




    • गायकवाड शासक ने सन १९१३ में संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय मे जाकर अध्ययन के लिये डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर का चयन किया गया साथ ही इसके लिये एक ११.५ डॉलर प्रति मास की छात्रवृत्ति भी प्रदान की। न्यूयॉर्क शहर में आने के बाद, डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को राजनीति विज्ञान विभाग के स्नातक अध्ययन कार्यक्रम में प्रवेश दे दिया गया। 
    • शयनशाला मे कुछ दिन रहने के बाद, वे भारतीय छात्रों द्वारा चलाये जा रहे एक आवास क्लब मे रहने चले गए और उन्होने अपने एक पारसी मित्र नवल भातेना के साथ एक कमरा ले लिया। १९१६ में, उन्हे उनके एक शोध के लिए पीएच.डी. से सम्मानित किया गया।
    सन 1922 में एक वकील के रूप में डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर
    • इस शोध को अंततः उन्होंने पुस्तक "'इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया'" के रूप में प्रकाशित किया। 
    • हालाँकि उनकी पहला प्रकाशित काम, एक लेख जिसका शीर्षक, भारत में जाति : उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास है। अपनी डाक्टरेट की डिग्री लेकर सन १९१६ में डॉ॰ आंबेडकर लंदन चले गये जहाँ उन्होने ग्रेज् इन और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में कानून का अध्ययन और अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट शोध की तैयारी के लिये अपना नाम लिखवा लिया। 
    • अगले वर्ष छात्रवृत्ति की समाप्ति के चलते मजबूरन उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौर बीच मे ही छोड़ कर भारत वापस लौटना पडा़ ये प्रथम विश्व युद्ध का काल था। बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन मे अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि अपनी परामर्श व्यवसाय भी आरंभ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। 
    • अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम, के कारण उन्हें मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। १९२० में कोल्हापुर के महाराजा अपने पारसी मित्र के सहयोग और अपनी बचत के कारण वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सक्षम हो गये। 
    • १९२३ में उन्होंने अपना शोध प्रोब्लेम्स ऑफ द रुपी (रुपये की समस्यायें) पूरा कर लिया। उन्हें लंदन विश्वविद्यालय द्वारा "डॉक्टर ऑफ साईंस" की उपाधि प्रदान की गयी। और उनकी कानून का अध्ययन पूरा होने के, साथ ही साथ उन्हें ब्रिटिश बार मे बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया। 
    • भारत वापस लौटते हुये डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर तीन महीने जर्मनी में रुके, जहाँ उन्होने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, बॉन विश्वविद्यालय में जारी रखा। उन्हें औपचारिक रूप से ८ जून १९२७ को कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा पीएच.डी. प्रदान की गयी।

    डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर

                                                                युवा डॉ॰ बाबासाहेब अंबेडकर
    जन्म14 अप्रैल 1891
    महूइंदौर जिलामध्य प्रदेशभारत
    मृत्यु6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65)
    दिल्लीभारत
    राष्ट्रीयताभारतीय
    अन्य नाममहान बोधिसत्व, बाबासाहेब, युगपुरूष, आधुनिक बुद्ध
    शिक्षाबीए., एमए., पीएच.डी., एम.एससी., डी. एससी., एलएल.डी., डी.लिट., बार-एट-लॉ (कुल ३२ डिग्रियाँ अर्जीत)
    विद्यालयमुंबई विश्वविद्यालय
    कोलंबिया विश्वविद्यालय
    लंदन विश्वविद्यालय
    लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स
    बर्लिन विश्वविद्यालयजर्मनी
    संस्थाबहिष्कृत हितकारणी सभा
    समता सैनिक दल
    डिप्रेस क्लास एज्युकेशन सोसायटी
    पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी
    स्वतंत्र लेबर पार्टी
    अनुसूचित जाति फेडरेशन]]
    भारतीय बौद्ध महासभा
    उपाधिआधुनिक भारत के निर्माता
    भारत के प्रथम कानून मंत्री]]
    भारतीय संविधान के निर्माता
    शोषितों, मजदूरों और महिलाओं के मसिहा
    महान मानवाधिकारी क्रांतिकारी नेता
    सबसे प्रतिभाशाली मनुष्य
    समता पुरूष
    भारत सशक्तीकरण के प्रतिक
    राजनीतिक पार्टीभारतीय रिपब्लिकन पार्टी
    राजनीतिक आंदोलनभारत के सामाजिक आन्दोलन
    दलित बौद्ध आंदोलन
    धर्मबौद्ध धर्म (मानवता)
    जीवनसाथीरमाबाई आंबेडकर (विवाह १९०६)
    डॉ॰ सविता आंबेडकर (विवाह १९४८)
    पुरस्कारभारत रत्‍न (१९९०)
    बोधिसत्व
    डॉ॰ भीमराव रामजी अंबेडकर ( 14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956 ) विश्व स्तर के 


    • भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाज शास्त्री, मानवविज्ञानी, संविधानविद्, लेखक, दार्शनिक, इतिहासकार, धर्मशास्त्री, वकील, विचारक, शिक्षाविद, प्रोफ़ेसर, पत्रकार, बोधिसत्व, संपादक, क्रांतिकारी, समाज सुधारक, भाषाविद, जलशास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक, सत्याग्रही, दलित-शोषित नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे और वे भारतीय संविधान के शिल्पकार भी है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर भारत के सामाजिक आन्दोलन के सबसे बड़े नेता थे। 
    • डॉ॰ भीमराव आंबेडकर बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय हैं, जिसका मराठी भाषा में अर्थ 'पिता' होता है। उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, प्रचंड बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, साहस, नियमितता, दृढता, दूरदृष्टि, प्रचंड संग्रामी स्वभाव का मेल था। भारत को मजबूत लोकतंत्र प्रदान करने वाले बाबासाहेब अनन्य कोटी के नेता थे, जिन्होंने अपना समस्त जीवन समग्र भारत के कल्याण के लिए लगाया। 
    • भारत के शोषित, पिडीत, दलित एवं पिछडे सामाजिक व आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जी के जीवन का प्रमुख संकल्प था। इनके उत्थान के संघर्ष में वे हमेशा व्यस्त रहे और साथ ही भारतीय स्वतंत्र्यता, आधुनिक भारत के निर्माण में अनमोल योगदान एवं कार्य करते रहे। भारत देश के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शिक्षा, कानून, बिजली आदी क्षेत्रों में उनके अतुलनीय योगदान रहे है इसलिए डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को आधुनिक भारत के निर्माता भी कहां जाता है। 
    • प्रकांड विद्वान एवं बहुश्रुत डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर की 64 विषयों पर मास्टरी थी, जो कि केंब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड के 2011 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा है।इसलिए इस विश्वविद्यालय ने बाबासाहेब को विश्व के सबसे प्रतिभाशाली इंसान घोषित किया है। अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध कोलंबिया विश्वविद्यालय ने बाबासाहेब को विश्व के टॉप 100 महान विद्वानों की सूचीं में शीर्ष पर स्थान दिया है। विश्वविद्यालय इन 100 विद्वानों की सूची में बाबासाहेब ही एकमात्र भारतीय थे। 
    • भारत में हुए दि ग्रेटेस्ट इंडियन नामक विश्वस्तर के भारतीय सर्वेक्षण में भी बाबासाहेब टॉप 100 भारतीयों में पहले सबसे महानतम भारतीय (The Greatest Indian) ते रूप में घोषित हूए है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ही भारत के अब तक के पहले सबसे महान अर्थशास्त्री है। विश्व एवं भारत के सबसे बुद्धिमान विद्वांनो में बाबासाहेब का नाम सबसे पहले लिया जाता है। भारत के सबसे महान समाज सुधारक, सबसे महान विधिवेत्ता के तौर पर भी बाबासाहेब ही नाम सबसे आगे है। बाबासाहेब की जन्मतिथी आंबेडकर जयंती भी पूरे विश्व में मनाई जाती हैं।
    • बाबासाहेब का जन्म एक गरीब परिवार मे हुआ था। एक अछूत परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें सारा जीवन नारकीय कष्टों में बिताना पड़ा। बाबासाहेब आंबेडकर ने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की चतुवर्ण प्रणाली और भारतीय समाज में सर्वव्यापित जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। 
    • हिंदू धर्म में मानव समाज को चार वर्णों में वर्गीकृत किया है। जो इस प्रकार है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। बाबासाहेब ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए सारा जीवन कठीण संघर्ष किया है। इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्म को ग्रहण करके इसके समतावादी विचारों से समाज में समानता स्थापित कराई। हालांकी वे बचपन से बुद्ध के अनुयायी थे। उन्हें दलित बौद्ध आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय भी जाता है। डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर को महापरिनिर्वाण के ३४ वर्ष बाद सन 1990 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
    • कई सामाजिक और वित्तीय बाधाएं पार कर, डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर उन कुछ पहले अछूतों मे से एक बन गये जिन्होने भारत में कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ने कानून की उपाधि प्राप्त करने के साथ ही विधि, अर्थशास्त्र व राजनीति विज्ञान में अपने अध्ययन और अनुसंधान के कारण कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कई डॉक्टरेट डिग्रियां भी अर्जित कीं। 
    • डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर वापस अपने देश एक प्रसिद्ध विद्वान के रूप में लौट आए और इसके बाद कुछ साल तक उन्होंने वकालत का अभ्यास किया। इसके बाद उन्होंने कुछ पत्रिकाओं का प्रकाशन किया, जिनके द्वारा उन्होंने भारतीय अस्पृश्यों के राजनैतिक अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को वैश्विक बौद्ध संमेलन, नेपाल में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बोधिसत्व की उपाधि प्रदान की है, हालांकि उन्होने खुद को कभी भी बोधिसत्व नहीं कहा, यही उनकी बडी महानता है।
    • 'बोधिसत्व' बौद्ध धर्म की सर्वोच्च उपाधी है, खुद पर विजय प्राप्त कर बुद्धत्व के करीब पोहोचने वाले एवं बुद्ध बनने के रास्तें पर चलने वाले महाज्ञानी, महान मानवतावादी एवं सबका कल्याणकारी व्यक्ति 'बोधिसत्व' कहलाता है। बोधिसत्व अवस्था प्राप्त करने के कई अवस्थाओं गुजरना पडता है। बोधिसत्व उपाधी हिंदू या संस्कृत ग्रंथों की महात्मा उपाधी से बहूत व्यापक एवं उच्च दर्जे की है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को धम्म दिक्षा देने वाले महान बौद्ध भिक्षु महास्थवीर चंद्रमनी ने उन्हें को इस युग का भगवान बुद्ध कहाँ है।

    अनुक्रम

      
    • 1प्रारंभिक जीवन
    • 2उच्च शिक्षा
    • 3छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष
    • 4पूना संधि
    • 5राजनीतिक जीवन
    • 6संविधान निर्माण
    • 7बौद्ध धर्म में परिवर्तन
      • 7.122 प्रतिज्ञाएँँ
    • 8महापरिनिर्वाण (मृत्यु)
    • 9आंबेडकर के सिद्धान्त (आंबेडकरवाद)
      • 9.1स्वातंत्र्य
      • 9.2समानता
      • 9.3भाईचारा
      • 9.4बौद्ध धर्म
      • 9.5विज्ञानवाद
      • 9.6मानवतावाद
      • 9.7सत्य
      • 9.8अहिंसा
    • 10भारतीय जीवन पर आंबेडकर बनाम गांधी
    • 11आधुनिक भारत के निर्माता – डॉ॰ अंबेडकर
    • 12विरासत
    • 13अम्बेडकर के बाद
    • 14विश्व के टॉप 100 विद्वानों में शीर्ष पर
    • 15सबसे महानतम भारतीय
      • 15.1दस महान भारतीयों के वोट
    • 16बहुश्रुत आंबेडकर
    • 17बाबासाहेब के विचार
      • 17.1समाज
      • 17.2धर्म
      • 17.3जाति प्रथा
      • 17.4राजनीति
      • 17.5अर्थशास्त्र
      • 17.6स्वतंत्र्यता
      • 17.7शिक्षा
      • 17.8समानता
      • 17.9भारत
      • 17.10जीवन
      • 17.11संविधान
    • 18फिल्म
    • 19नाटक
    • 20बाबासाहेब का समग्र साहित्य, लेखन
    • 21बाबासाहेब के प्रशंसक
    • 22संदर्भ
    • 23यह भी देखें
    • 24बाहरी कड़ियाँ

    बाहरी कड़ियाँ