Monday 2 January 2017

आंबेडकर के सिद्धान्त (आंबेडकरवाद)

स्वतंत्र्यता
क्रांतिकारी देशभक्त डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को ब्रिटीशों से मुक्त भारत के अलावा देश के ९ करोड़ो (आज ३५ करोड़) शोषित, पिडीत एवं दलित लोगों की धार्मिक गुलामी से मुक्ती चाहते थे। उन्हें भारत के साथ भारतीओं की स्वतंत्र्यता चाहिए थी। वे मनुष्य की स्वतंत्र्यता को सबसे बडी स्वतंत्र्यता मानते थे।

समानता
डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जी को ‘समानता का प्रतिक’ कहाँ जाता है। बाबासाहेब ने अपने पुरे जीवन काल में देश के शोषित, पिडीत, महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक क्षेत्र में समानता देने की बात कही है। बाबासाहेब की वजह से ही आज सबको समान अधिकार है।

भाईचारा
बाबासाहेब सच्चे अहिंसक थे, उन्होंने कभी कहीं भी अहिंसा नहीं की या अपने अनुयायीओं को इसका उपदेश किया। बाबासाहेब भगवान बुद्ध के उपासक थे इसलिए वे समस्त मानवों के भाईचारा चाहते थे।

बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म द्वारा बाबासाहेब ने करोड़ो के लिए मानवमुक्ती का रास्ता खोजा, क्योंकी बौद्ध धर्म मनुष्य की स्वतंत्र्यता, समानता, विज्ञानवाद, अहिंसा, प्रज्ञा एवं करूणा में विश्वास करता है। आज भारत के बौद्ध बने अनुयायी दलितों एवं हिंदुओं से साक्षरता, लिंग अनुपात, स्नातक, काम में आगे है।

विज्ञानवाद
बाबासाहेब सत्यवादी थे, इसलिए उन्हें विज्ञान में विश्वास था।

मानवतावाद
सत्य
अहिंसा

No comments:

Post a Comment